छात्र संघ का मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया एवं उसके मूल्यों के विशय में प्रषिक्षित करना है। साथ ही जागृति, अभिव्यक्ति, अनुशासन एवं विकास इसका मूल उद्देश्य है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राजनीति नियन्ता शक्ति हो गई है। सभी क्षेत्रों में राजनीति का प्रभाव समग्र रुप से देखा जा सकता है। ऐसी स्थिति- परिस्थिति में विद्यार्थी के लिये राजनीति के संबंध में प्रारंभिक जानकारी वांछित है। अतः महाविद्यालयों में राजनीति की स्वस्थ त्परा की नींव डालने के लिये तथा प्रजातन्त्रात्मक शासन पद्धति से अवगत कराने के लिये शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक वर्ष इस महाविद्यालय में मनोनयन विधि से छात्र-संघ का गठन किया जाता है। नियमानुसार अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सह-सचिव एवं प्रत्येक कक्षा के लिये कक्षा प्रतिनिधियों का मनोनयन प्रावीण्यता के आधार पर किया जाता है। सभी प्रतिनिधि पद व गोपनीयता की शपथ लेते हैं एवं अपने दायरे में रहते हुये छात्र हित के लिये सतत् जागरुक रहते हैं। अध्ययन-अध्यापन में विषेश ध्यान तो देते ही हैं, साथ ही सांस्कृतिक एवं अन्य कई विधिक गतिविधियों का भी वर्श भर आयोजन किया जाता रहता है। जिसमें प्रमुख है- वार्शिक स्नेह सम्मेलन जो वर्ष के दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में आयोजित किया जाता है। जिसमें उत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति गौरवशाली परम्परा का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहुत ही सामन्जस्य पूर्ण ढंग से प्रस्तुति होती है। इस उमंगपूर्ण माहौल में ॐ ओर जहां युवा पीढ़ी को विभिन्न विधाओं में अपनी कला दिखाने एवं पहचान बनाने का अवसर मिलता है, वहीं ऐसे अवसरों पर आमंत्रित मुख्य तेथि एवं अन्य अतिथियों के उद्बोधन से संपूर्ण छात्र-जगत लाभान्वित भी होता है।
अध्यक्ष :
उपाध्यक्ष :
सचिव :
सह सचिव :